संघर्ष संजनवता का जीवंत प्रमाण है। संगठित संघर्ष समाज में चेतना उसके संरक्षण क साथ-साथ उत्तरोत्तर प्रगति के लिये परम आवष्यक है, कुछ इसी अवधाराणा के आधार पर भारतवर्ष में 'संघ षकित कलयुगें' जैसे सुकित वाक्य की खोज हुर्इ। राष्ट्र की स्वतंत्रता की बात हो या उन्नति की संगठित संघर्ष ही इसका मुल रहा है। सृषिट की रचना से वर्तमान तक संगठित समुदाय तो अपना संरक्षण करने में सफल हुए परन्तु एकांगी समय की गर्त में समा गये। कुछ तो षोध का विषय बन गये
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इंo गौरी शंकर सिंह कुशवाहा
अध्यक्ष

 

इंo गिरीश कुमार
महामंत्री

संघर्ष संजीवता का जीवंत प्रमाण है। संगठित संघर्ष समाज में चेतना उसके संरक्षण के साथ-साथ उत्तरोत्तर प्रगति के लिये परम आवश्यक है, कुछ इसी अवधारणा के आधार पर भारतवर्श में Þसंघ शकित कलयुगेß जैसे सुकित वाक्य की खोज हुर्इ।
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